दो से ज्यादा बच्चे तो नही मिलेगी नौकरी

दो से ज्यादा बच्चे तो नही मिलेगी नौकरी

सीएम योगी जी के द्वारा नई जनसंख्या निति का विमोचन कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकट जल्द एक ठोस कानून शक्ल लेगा। अहम बात यह है कि कानून में आम लोगों के अलावा सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से लेकर जनप्रतिनिधियों पट भी बड़े अंकुश लगाने की कोशिश है। आयोग ने दो से अधिक बच्चे वालों को स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निकाय सै लेकर पंचायत चुनाव तक) से वंचित रखे जाने की अहम सिफारिश राज्य विधि आयोग ने की है। आयोग नए कानून में सख्त प्रविधान लाने के पक्ष में है। आयोग ने कानून लागू होने के एक साल के भीतर म्रभी स्थानीय निकायों में चयनित प्रतिनिधियों से डम्न नीति के पाछठन का शपथपत्र लिए जाने तथा नियम तोड़ने पर उनका निवचिन टद किए जाने की स्निफारिश की है। कहा है कि उन्हें फिट चुनाव भी न लड़ने दिया जाए।

आयोग ने उप्र जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का जो मसौदा तैयार किया है, उसमें लोगों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही राज्य सटकार के दायित्व भी तय किए गए हैं। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण बिल का प्राठुप अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर ॥9 जलाई तक सुझाव मांगे हैं। आयोग को अब तक सुझाव के दो हजार ईमेल मिल चुके हैं। प्राठप को कई न्यायाधीशों को भेजकर उनके सुझाव भी लिए जा हहे हैं, जिसके बाद प्राछप को अंतिम रुप देकर उसे राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद तथा नगटीय निकाय (नगर निगम, नगट पालिका परिषद,  नगट पंचायत) से पहले डस नए कानून को लागू किया जा सकता है।

राजस्थान व मध्य प्रदेश की तरह मूबे में भी दो से अधिक बच्चे वालों को सटकार नौकरी से दूर रखे जाने की झ्िफारिश शामिल है।  ऐसे अभिभावक राज्य सरकार की किसी भर्ती में आवेदन नहीं कर सकेंगे। उन्हें सटकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित रखा  जाएगा। आयोग ने बहुविवाह का भी ध्यान रखा है। धार्मिक या पर्सनल ला के तहत एक से अधिक विवाह कटने वाले दंपती भी कानून के दायरे में होंगे।

एक से अधिक विवाह करने वाले व्यक्ति के सभी पत्नियों से यदि दो से अधिक बच्चे हैं तो उसने सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

हालांकि, हर पत्नी उसके दो बच्चे होने पट सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। ऐसे ही कित्ली महिला के एक से अधिक विवाह करने पर उसके अलग-अलग पतियों से दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाओं से वंचित होना होगा।

सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से स्रीमित पटिवाट का शपथपत्र लेने तथा नियम तोड़ने पट उनकी पदोन्नति रोके जाने व सेवा से बखस्ति किए जाने तक की झ्लिफारिश की गई है। मातृत्व व पितृत्व के लिए पूरे वेतन व भत्तों के साथ ।2 माह का अवकाश प्रदान किए जाने की भी सिफारिश है।

 अहम सुझाव

"जिन सटकारी कार्मिकों का परिवाट सीमित रहेगा और वह मर्जी से नसबंदी कटाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त डइंक्रीमेंट, पदोन्नति, आवास योजनाओं में छूट, पीएफ में कर्मी का कंट्रीब्यूअन बढ़ाने व ऐसे अन्य लाभ दिए जाने की सिफारिशों हैं।

'जो दंपती सटकारी नौकरी में नहीं है, उन्हें सीमित परिवार रखने पर पानी, बिजली, गृह व अन्य कटों में छूट मिलेगी।

"एक संतान पट मर्जी से नसबंदी कटाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, छिक्षा व बीमा के साथ

नौकरियों में वरीयता दिए जाने की तैयारी है।

'एक संतान वाले दंपती को सटकाटी नौकटी में चार इक़ीमेंट तक मिल सकते हैं। गटीबी टेखा के नीचे निवास कटने वाले ऐसे

दंपती को बेटे के लिए 80 हजार रुपये व बेटी के लिए एक लाख रपये एक मुफ्त दिए जाएंगे।

राष्ट्रीय पेंशन योजना के सदल्य को राज्य सटकार की ओर से तीन फीसद अधिक राशि का योगदाना

- गरीबी रेखा के नीचे निवास करने वाली महिला के 45 वर्ष की आयु तक एक ही बच्चा रहने पट एक लाख कपये की विशेष प्रोत्साहन राशि।

ये भी होगा

"यदि दूसरी प्रेग्नेंसी में किसी के दो या उससे अधिक बच्चे होते हैं, तो उन्हें एक ही माना जाएगा।

'पहला, दूसरा या दोनों ही बच्चे नि:शक्त हैं तो वह तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं होगा।

“यदि दो बच्चों में से एक बच्चा किसी निःसंतान दंपती को विधि पूर्वक गोद दे दिया जाता है तो तीसरे बच्चे की छूट होगी।

"किसी बच्चे की अक्ममय मृत्यु पट तीसटा बच्चा कानून के दायटे से होगा बाहरा।

'मटकार को कानून लागू कटाने के लिए राज्य जनसंख्या कोष बनाना होगा।

'हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देनी होगी प्रमव की सुविधा।

'क्कूल के पान्यक्रम में जनसंख्या नियंत्रण का भी अध्याय होगा।

'महिला व पक्ष नसबंदी के असफल होने पट अनचाहे गर्भ में छठ मिलेगी।

“नसबंदी आपरेशन के विफल होने से हुआ तीसटा बच्चा कानून के दायरे से बाहर होगा। 'नसबंदी आपरेशन की विफलता साबित

होने पर देना होगा 50 हजार रुपये मुआवजा

'केवल चाट यूनिट तक सीमित होगा राशन कार्ड

“राज्य सरकार से कोर्ड भी सब्सिडी लेने पर रोका

“नियम तोड़ने पर अधिकारियों और कर्मियों की नौकटी भी जाएगी

“राज्य विधि आयोग ने की है अहम सिफारिश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पट सूबे में नर्ड जनसंख्या नीति 202/-30 जाटी करेंगे।

नई जनसंख्या नीति के तहत सटकार ने जन्मदर कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पटिवाट नियोजन कार्यक्रम के तहत

सरकार गर्भनिरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाएगी और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने का प्रयास भी करेगी।

उन्नत स्वास्थ्य मुविधाओं के माध्यम सै नवजात जन्म दर, मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दद को कम करने तथा नपुंत्रकता/बांझपन की समस्‍या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराने का प्रयास भी होगा। नई नीति में वर्ष 2026 तक जन्मदर को प्रति हजार आबादी तक तथा वर्ष 2030 तक .9 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।॥ से ॥9 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा व स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था भी की जाएगी। नई नीति में आबादी स्थिटीकरण के लिए स्कूलों में हेल्‍थ क्लब बनाये जाने का प्रस्ताव भी शामिल है। साथ ही डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरुप नवजातों, किशोरों व बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग भी कराने की योजना है।


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